समय के साथ चीजें बदलनी चाहिए ताकि हम बेहतर से बेहतर बनते जाएं। इस लेख में न्यू National Education Policy 2020 पर प्रकाश डालेंगे साथ में देखेंगे कि क्या यह पॉलिसी देश को विश्व स्तर पर एक नया मुकाम हासिल करने में सहायता करेगी?
ऐसा कहा जाता है कि कस्तूरीरंजन कमेटी (एजुकेशन पॉलिसी बनाने के लिए) आज तक की सबसे बड़ी कमेटी थी। देश का शायद ही कोई ऐसा ग्राम पंचायत अछूता हो जिससे पॉलिसी बनाने में राय मशवरा ना लिया गया हो।
लेना भी चाहिए क्योंकि आप देश के एक महत्वपूर्ण स्तंभ एजुकेशन व्यवस्था बदलने की तैयारी कर रहे हो। एक ऊंची इमारत हो या कोई व्यवस्था अगर उसके जड़ पर अच्छे से ध्यान ना दिया जाए तो वास्तविक में उसके पास मजबूती नहीं होती है। इस पॉलिसी में भी इसी पर ध्यान दिया गया है ताकि पॉलिसी अंदर से खोखली ना रह जाए।
पहले कुछ बिंदु में हम शिक्षा व्यवस्था की सरकारी या निजी सर्वे के कुछ आंकड़े देखेंगे–
- रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में करीब 5 करोड़ विद्यार्थी प्राथमिक विद्यालय में ऐसे हैं जिन्होंने बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान नहीं सीखा है। अर्थात ऐसे बच्चों को सामान्य लेख को पढ़ने, समझने और अंकों के साथ बुनियादी जोड़ घटाव करने की क्षमता नहीं है।
- आंकड़ों के तरफ देखें तो स्कूली व्यवस्था में ठहराव एक गंभीर समस्या के तरफ इशारा करती है कक्षा 6–8 तक GR 90.9% है। जबकि 9–10 और 11–12 क्रमश 79.3% और 56.5% है। यह आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि कितने छात्र कक्षा 5 और 8 के बाद शिक्षा प्रणाली से बाहर चले जाते हैं।
- वर्ष 2017–18 NSSO रिपोर्ट के अनुसार 6–17 वर्ष के बीच के उम्र के विद्यालय न जाने वाले बच्चों की संख्या 3.22 करोड़ है।
- अगर उच्चतर शिक्षा के आंकड़े देखें तो यू–डाइज के 2016–17 के अनुसार प्राथमिक स्तर पर अनुसूचित जाति के छात्र 19.6% है। किंतु उच्चतर माध्यमिक स्तर पर यह प्रतिशत 17.3% हो गया है। अनुसूचित जनजाति के छात्र की संख्या 10.6% से 6.8% और दिव्यांग बच्चों की 1.1% से 0.25% है।
- यू – डाइज के 2016-17 रिपोर्ट के अनुसार भारत के 28% सरकारी प्राथमिक स्कूलों और 14.8% उच्चतर प्राथमिक स्कूलों में औसतन 30 से भी कम छात्र पढ़ते हैं। 1–8 तक प्रति कक्षा औसतन 14 छात्र है। जबकि बहुत से स्कूलों में तो यह औसतन 6 छात्र से भी कम है।
इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इन समस्याओं का मूल कारण यही मिलता है कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था स्टूडेंट फ्रेंडली नहीं है। निम्न स्तर के कक्षा में देखें तो वहां यह बिल्कुल खरा उतरता है।
अगर नई पॉलिसी को देखें तो इन समस्याओं पर खासा जोर दिया गया है। शुरुआती स्कूली शिक्षा पर तो खासकर। उच्चतर शिक्षा में भी ऐसे बदलाव किए गए हैं। जिससे विद्यार्थी बोर्ड स्तर के बाद शायद ही शिक्षा से दूरी बनाने की कोशिश करेंगे।

उपर्युक्त चित्र से यह साफ समझ में आ रहा है। कि पिछले अकादमी ढांचे ( जो वर्ष 1986 में लागू हुआ) में क्या व्यवस्था थी और नए वाले में क्या है। पुराने अकादमी ढांचे में शुरू के 1–6 साल तक के बच्चों की स्कूली शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं था। ऐसा माना जाता है कि बच्चों के मस्तिष्क का 85% विकास 6 वर्ष की अवस्था से पूर्व हो जाता है।
पिछली अकादमिक व्यवस्था में आप 6– 16 वर्ष तक दसवीं कक्षा तक पहुंचते थे। इसके बाद 16 –18 वर्ष में 12वीं पास करते थे। यानी कि 10+2 पैटर्न था। नई पॉलिसी में इसे बदल दिया गया है। अब इसे 5+3+3+4 पैटर्न कर दिया गया है।
New National Education Policy
Foundation Stage
उपर्युक्त चित्र में देखने पर मिलेगा की 3– 6 वर्ष उम्र के बच्चों को पिछली अकादमी व्यवस्था में नहीं रखा गया था। नई पॉलिसी में 3– 6 वर्ष के उम्र के बच्चों को भी रखा गया है। उन्हें खेल आधारित शिक्षा द्वारा उनका आधार यानी कि जड़ तैयार किया जाएगा।
इस उम्र के बच्चों पर शिक्षा का ज्यादा जोर ना देकर उन्हें संज्ञानात्मक, भावनात्मक, शारीरिक क्षमता और संख्या ज्ञान को विकसित करने का कोशिश किया जाएगा। यह व्यवस्था आगनबाडी/ प्रीस्कूलिंग/बालवाटिका में होगी।
इसके लिए 10+2 या इससे अधिक योग्यता के जितने भी आंगनबाड़ी शिक्षक है। उनके लिए 6 महीने में प्रमाणपत्र कार्यक्रम कराया जाएगा। इसके नीचे के डिग्री वालों को 1 वर्ष का डिप्लोमा कार्यक्रम कराया जाएगा।
6–8 वर्ष के बच्चे कक्षा 1–2 में शिक्षा ग्रहण करेंगे यानी कि 5+3+3+4 में जो पहला 5 वर्ष है।उसमे बच्चे फाउंडेशन के जरिए कक्षा २ तक की पढ़ाई कर लेंगे। इन कक्षाओं में परीक्षा की व्यवस्था नही होगी।
Preparatory Stage
इसमे 8–11 वर्ष के उम्र के बच्चे कक्षा 3– 5 तक शिक्षा ग्रहण करेंगे। इसे प्रिपेरटॉरी श्रेणी में रखा गया है। खास बात यह है कि इन कक्षाओं की शिक्षा रीजनल लैंग्वेज/मातृभाषा/राष्ट्रीय भाषा में दी जाएगी। लेकिन यह आवश्यक नहीं है अगर कोई शिक्षण संस्थान अंग्रेजी मीडियम पढ़ाना चाहता है। तो अंग्रेजी में पढ़ा सकता है। रीजनल लैंग्वेज की सुविधा इसलिए उपलब्ध कराई गई है। क्योंकि शुरुआती उम्र में बच्चों को खुद के भाषा में सीखने में कुछ ज्यादा ही रूचि होती है।
Middle Stage
11–14 वर्ष उम्र के बच्चों को कक्षा 6–8 में पढ़ने का मौका मिलेगा। इसे मध्यम श्रेणी में रखा गया है। ऐसा इस पॉलिसी में बताया गया है कि मिडिल स्कूल स्तर पर बच्चों के लिए कोडिंग संबंधित गतिविधियां भी शुरू की जाएंगी। इसके अलावा वोकेशनल कोर्स भी चलाया जाएगा, उत्सुक विद्यार्थी इसमें भाग ले सकता है। इसके अलावा विद्यार्थी संविधान में वर्णित 22 भाषाओं में से किसी एक को लेकर भी इन कक्षाओं में पढ़ाई कर सकता है।
Secondary Stage
14-18 वर्ष के उम्र के बच्चों को कक्षा 9–12 तक का शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिलेगा। 5+3+3+4 के अंतिम 4 वर्ष की व्यवस्था यहीं है इसे सेकेंडरी श्रेणी में रखा गया है।
पिछले पालिसी को देखें तो वहां पर दो बार बोर्ड परीक्षा कक्षा 10 और कक्षा 12 में देना होता था। लेकिन अब नए पालिसी इसे हटाकर केवल एक बोर्ड एग्जाम कर दिया गया है। 9–12 तक के एग्जाम को सेमेस्टर के रूप में बांट दिया गया है। यानी कि एग्जाम हर एक 6 महीने पर देना होगा।
इसके अलावा पिछली पॉलिसी में चीजें स्ट्रीमवाइज बटी हुई थी। यानी कि साइंस स्ट्रीम का विद्यार्थी आर्ट्स या कॉमर्स स्ट्रीम के सब्जेक्ट के साथ नहीं पढ़ सकता था। नई पॉलिसी में इसे हटा दिया गया है एक विद्यार्थी चाहे तो साइंस के विषय के साथ अपने दूसरे स्ट्रीम के किसी विषय को लेकर साथ में पढ़ाई कर सकता है। यह एक बढ़िया व्यवस्था है।
कक्षा 9–12 में विद्यार्थी को विदेशी भाषा की भी शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। विद्यार्थी अपने अनुसार किसी विदेशी भाषा को लेकर उसे सीख सकता है। जिससे उसे उस देश की चीजें समझने में या वहां जाकर अपना करियर बनाने में आसानी होगा।
विदेशों की शिक्षा नीति में ऐसी व्यवस्था पहले से थी। अब यहां के सीखा नीति में भी ऐसी व्यवस्था को जोड़ दिया गया है। जिससे हमारे देश के लोगो को उस देश में जाकर व्यापार में भी आसानी होगी।
अब एक नजर डाल लेते हैं। New Education Policy में उच्चतर शिक्षा को लेकर क्या बदलाव किए गए हैं।
इस पॉलिसी में स्नातक उपाधि को 3 या 4 वर्ष की अवधि का कर दिया गया है। इसमें विद्यार्थी प्रमाणपत्र से के साथ 1st वर्ष, 2nd वर्ष या पूरी शिक्षा लेकर शिक्षा से बाहर आ सकते हैं। अगर विद्यार्थी 1 साल पूरा करने के बाद किसी कारणवश अपनी पढ़ाई छोड़ना चाहता है। तो उसे Certificate, अगर 2 साल पूरा करने पर छोड़ता है तो Diploma तथा 3 साल तक पूरा करने पर स्नातक डिग्री दी जाएगी।
4 वर्षीय प्रोग्राम में बहु विषयक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा यानी कि चाहे चौथे वर्ष विद्यार्थी रिसर्च पर काम करना होगा। विद्यार्थी अपने अनुसार 3 या 4 वर्ष का डिग्री कर सकेगा। स्नातक डिग्री मांगने वाले competition exam में 3 साल की डिग्री भी मान्य होगा। 4 वर्ष जरूरी नही है। जो इन एग्जाम को देने के लिए डिग्री चाहते है। वह 3 साल बाद ड्रॉप कर सकते है।
अगर कोई विद्यार्थी पढ़ाई बीच में छोड़ कर चला गया और उसके कुछ साल बाद वह फिर से दोबारा अपनी पढ़ाई जारी करना चाहता है। तो वह वहीं से जहां पर छोड़ा था। आगे की पढ़ाई वही से जारी रख सकता है। यह इस पॉलिसी की सबसे बड़ी खासियत है।
स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए जो विद्यार्थी 3 साल का स्नातक शिक्षा पूरा किए हैं उन्हें 2 वर्ष का प्रोग्राम प्रदान किया जाएगा। लेकिन अगर कोई विद्यार्थी 4 वर्ष का स्नातक शिक्षा प्राप्त किया है तो उसे बस एक साल का कार्यक्रम उपलब्ध हो सकता है।
पीएचडी के लिए या तो विद्यार्थी के पास 4 वर्ष के शोध के साथ स्नातक डिग्री होनी चाहिए या फिर स्नातकोत्तर डिग्री। इस पॉलिसी में एम–फिल प्रोग्राम को बंद कर दिया गया है।
इस पॉलिसी में ऐसा बताया गया है। कि इस पॉलिसी के लागू होने से भारत में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या बढ़ेगी। इसके साथ ऐसे छात्र जो विदेश में जाकर पढ़ाई या शोध करने के लिए उत्सुक होते हैं। उन्हें ऐसी सुविधा भारत में ही मिलेगी।
अच्छा प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालयों को दूसरे देश में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। तथा दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को भारत में संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
देश के कृषि विश्वविद्यालयों का प्रतिशत विश्वविद्यालय में लगभग 9% है। लेकिन उसके लिए नामांकन 1% से भी कम है। इस नीति में इस आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए भी इस पर काम किया गया है।
12वीं पंचवर्षीय योजना के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में व्यवसायिक शिक्षा लेने वाले 19–24 वर्ष के विद्यार्थी का प्रतिशत लगभग 5% से भी कम है।जबकि USA में 52% जर्मनी में 75% दक्षिण कोरिया में तो 96% है। इन चीजों पर भी नई शिक्षा नीति में ध्यान देकर सुधार करने का कोशिश किया गया है।
अगर इस नीति के अनुसार सभी सरकार मिलकर काम करेगी। तो वह दिन दूर नहीं होंगे कि भारत दुनिया पर शिक्षा के मामले में एक नई छाप छोड़ेगा।
धन्यवाद ❤️